सेंट्रल जेल रतलाम में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर राष्ट्रभक्ति एवं बंदी सुधार कार्यक्रम संपन्न


रतलाम, भारतीयता और राष्ट्रभक्ति की भावना को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सेंट्रल जेल रतलाम में ‘वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने’ के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 07 से 14 नवम्बर तक चल रही सामूहिक वंदे मातरम श्रृंखला के अंतर्गत संपन्न हुआ। आयोजन का उद्देश्य बंदियों में देशभक्ति, आत्म-सुधार और सामाजिक समरसता की भावना जागृत करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ वंदे मातरम गायन से हुआ। तत्पश्चात विभिन्न सामाजिक एवं आध्यात्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने प्रेरक उद्बोधन दिए।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार, युवा भारत जिला अध्यक्ष श्री विशाल कुमार वर्मा ने कहा कि वंदे मातरम मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है। योग और स्वदेशी जीवनशैली से आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति में सुधार की प्रेरणा मिलती है। बंदियों के जीवन में यह कार्यक्रम नवजीवन की दिशा में सार्थक कदम है।
गायत्री परिवार के प्रतिनिधि श्री विवेक चौधरी ने कहा गायत्री परिवार का उद्देश्य व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण करना है। वंदे मातरम जैसे गीत व्यक्ति में राष्ट्रप्रेम और नैतिकता की चेतना जगाते हैं। आत्मपरिवर्तन ही सच्चा राष्ट्रसेवा का मार्ग है। वंदे मातरम के 150 वर्ष के महत्व और आजादी के आंदोलन में राष्ट्रगीत के महत्व को बताया मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक श्री रत्नेश विजयवर्गीय ने अपने उद्बोधन में कहा “बंदी सुधार का सबसे बड़ा माध्यम है उन्हें भारतीयता की जड़ों से जोड़ना। वंदे मातरम व्यक्ति में जिम्मेदारी और आत्मबोध की भावना का संचार करता है, जो राष्ट्रनिर्माण की नींव है।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री अमन मुरेनिया ने कहा “बंदी जीवन का अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत का अवसर है। वंदे मातरम से व्यक्ति के भीतर राष्ट्रभक्ति और सेवा का भाव जागृत होता है, जिससे सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
कार्यक्रम में जेल अधीक्षक श्री लक्ष्मण सिंह भदौरिया एवं उप जेल अधीक्षक श्री ब्रजेश मरवाने की विशेष उपस्थिति रही।
श्री भदौरिया ने कहा इस प्रकार के आयोजन बंदियों के मनोबल को बढ़ाते हैं और उनमें अनुशासन, आत्मसंयम एवं राष्ट्रप्रेम की भावना को सशक्त करते हैं।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक ‘वंदे मातरम’ गायन और ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ हुआ। बंदियों ने भारत माता के प्रति अपनी निष्ठा और समाज में पुनः सकारात्मक योगदान देने की प्रतिज्ञा व्यक्त की।
