भारतीय ज्ञान परम्परा विश्व की सबसे प्राचीन धरोहर है

रतलाम।  भारतीय ज्ञान परम्परा विश्व की सबसे प्राचीन धरोहर है। यह जिन दो प्रणालियों के साथ चलती हैं, वे हैं निगम और आगम। वेद और उपनिषद् जहाँ निगम प्रणाली हैं, वहीं स्मृतियाँ, वेदान्त आदि दर्शन, योगशास्त्र और सूत्र साहित्य सहित पूरा भारतीय वाङ्मय आगम प्रणाली का अनुसरण करता है। ये दोनों ही प्रणालियाँ बिना आपसी विरोध के साथ-साथ चलती हैं। हमें भारतीय विद्याओं को आधुनिक सन्दर्भों में विकसित करना होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके लिये प्रावधान तो है, लेकिन उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को उठानी होगी। विश्वविद्यालयों की अकादमिक सफलता इसी बात पर निर्भर करती है के वे प्राचीन और आधुनिक शिक्षाओं में किस तरह समन्वय स्थापित करते हैं।  डाॅ. चाँदनी वाला  ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली उन कुलपतियों ने बनाई है, जो गुरुकुल संचालित करते थे। गुरुकुल हमारी भारतीय सनातन संस्कृति को व्यवहारिक शिक्षा के माध्यम से स्थापित करना चाहते थे विज्ञान और आधुनिकता को शास्त्रों के माध्यम से स्थापित करना चाहते थे  गुरुकुल परम्परा को आधुनिक रूप में लागू करने के लिये योजना बनाई जाना चाहिए।
ये विचार डाॅ.मुरलीधर चाँदनीवाला ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन, नई दिल्ली द्वारा आयोजित विश्वविद्यालयीन उप-कुलपतियों की बैठक को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। दो दिवस तक चलने वाला यह राष्ट्रीय स्तर का उप-कुलपति सम्मेलन बैंगलोर में आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के पचास से अधिक उप-कुलपतियों ने भाग लिया।
डाॅ.चाँदनीवाला ने इस अवसर पर भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ज्ञान प्रणाली के उन बिन्दुओं की ओर उप-कुलपतियों का ध्यान आकर्षित किया, जो आधुनिक जीवन दर्शन के लिये विशेष रूप से उपयोगी है। उल्लेखनीय है कि यह सम्मेलन केन्द्रीय संस्थान आईएसके (भारतीय ज्ञान प्रणाली) के सहयोग से आयोजित किया गया।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो.टी.जी.सीताराम, पद्मश्री प्रो.एम.के.श्रीधर,  डाॅ. कोटि रेड्डी, डॉ. संजय पडोडे, प्रो. कनग सभापति, प्रो.प्रभुदेव आराध्या, एन. शिवकुमार, डाॅ. जी. पी. सुधाकर, डाॅ. बी. चंद्राकर सहित कई कुलपतियों ने भी अपने विचार रखे।
डॉक्टर चांदनी वाला साहब को इस संगोष्ठी में अपने व्याख्यान हेतु आमंत्रित करने पर शिक्षक सांस्कृतिक संगठन ने उन्हें बधाई प्रेषित की है।  अध्यक्ष दिनेश शर्मा, सचिव दिलीप वर्मा, संरक्षक डॉ सुलोचना शर्मा, ओ.पी. मिश्रा, गोपाल जोशी, डॉ गीता दुबे, कृष्ण चंद्र ठाकुर नरेंद्र सिंह राठौड़, राधेश्याम तोगड़े, रमेश उपाध्याय, श्याम सुंदर भाटी, मदन लाल मेहरा, दशरथ जोशी, मिथिलेश मिश्रा, अनिल जोशी, रमेश परमार, नरेंद्र सिंह पवार, मुनीद्र दुबे, भारती उपाध्याय, वीणा छाजेड़, कविता सक्सेना, रक्षा के कुमार, डा प्रवीणा दवेसर, आरती त्रिवेदी, विनीता पटेल, डॉ.रविंद्र उपाध्याय, अंजूम खान, ललिता कुशवाहा आदि ने हर्ष व्यक्त किया है।