
रतलाम 26 अक्टूबर । आज रविवार को श्रुति संवर्धन वर्षा योग 2025,श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर स्टेशन रोड, रतलाम आचार्य 108 विशुद्ध सागर जी म. सा. के शिष्य मुनि श्री 108 सद्भाव सागर जी म.सा. एवं क्षुल्लक 105 श्री परम योग सागर जी म.सा. द्वारा चंद्रप्रभा मंदिर मे पाट पर विराजित है।
जैन रामायण प्रवचन श्रृंखला के दौरान मुनि श्री सद्भाव सागर जी मसा. ने आज हनुमान जी के लंका प्रवेश से लेकर रावण दरबार तक की घटनाओं का जीवंत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने स्वेच्छा से स्वयं को रावण के समक्ष प्रस्तुत किया क्योंकि उनका उद्देश्य श्रीराम का संदेश सीता जी तक पहुँचाना और रावण को धर्म का उपदेश देना था।
मुनिश्री ने कहा कि रावण ने हनुमान को नागपाश में बांधने का आदेश दिया, परंतु यह सब हनुमान की योजना का ही भाग था ताकि वे सीधे रावण से मिल सकें। रावण ने जब हनुमान को अपने दरबार में देखा, तो उनके साथ कई प्रकार की चर्चाएं हुईं। हनुमान ने उसे धर्म और मर्यादा का उपदेश दिया तथा कहा कि “पर स्त्री हरण सबसे बड़ा पाप है।”
यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठा और उसने हनुमान को दंड देने का आदेश दिया। रावण के सैनिकों ने हनुमान की पूँछ में आग लगा दी। परंतु हनुमान जी ने अपने पराक्रम से सभी बंधन तोड़ दिए और अपनी ज्वलंत पूँछ से पूरी लंका में आग लगा दी। चारों ओर अग्निकांड से हाहाकार मच गया। महल, भवन और ऊँची-ऊँची अट्टालिकाएँ सब जल उठीं।
सीता जी से भेंट के समय हनुमान ने उनका संदेश लिया। सीता जी ने अपनी पहचान और आस्था के प्रतीक के रूप में एक चिन्ह हनुमान को दिया, ताकि वे श्रीराम को उनकी कुशलता का प्रमाण दे सकें।
हनुमान जब पुनः श्रीराम के पास पहुँचे, तो उन्होंने पूरी कथा सुनाई। यह सुनकर श्रीराम को शांति मिली कि माता सीता सुरक्षित हैं। मुनिश्री ने कहा “सीता जी के पुण्य और चारित्र की महिमा ही थी कि रावण जैसे दुष्ट के महल में भी उनका कोई अपमान नहीं कर सका।”
अंत में मुनिश्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि जीवन में धन, यश, बुद्धि — सब कुछ चला जाए तो भी चलेगा, लेकिन धर्म और चरित्र कभी नहीं छोड़ना चाहिए। यदि धर्म आपके साथ है, तो बुद्धि और लक्ष्मी पुनः आपके द्वार पर लौट आएँगी।”
सभा के अंत में उन्होंने बताया कि अगली प्रवचन कड़ी में राम-रावण युद्ध की विस्तृत व्याख्या की जाएगी।श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन श्रावक संघ, श्री विद्या सिंधु महिला मंडल श्री विमल सन्मति युवा मंच एवं सकल दिगंबर जैन समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य बड़ी संख्या में कथा का श्रवण कर रहे हैं उक्त जानकारी चंद्रप्रभ दिगंबर जैन श्रावक संघ संयोजक मांगीलाल जैन ने दी।



