मौन की साधना से वचन सिद्धि तक प्राप्त हो सकती है – महासती डॉ संयमलता

रतलाम । श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय महासाध्वी डॉ.श्री संयम लताजी म.सा. डॉ. श्री अमित प्रज्ञाजी म.सा., डॉ. श्री कमलप्रज्ञाजी म.सा. श्री सौरभ प्रज्ञाजी म.सा. आदि ठाणा -4 का नीमचौक स्थानक पर चातुर्मास तप, त्याग और आराधनामय चल रहा है इस अवसर पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पूज्याश्री डॉ संयमलता जी म.सा. ने फरमाया की मौन की साधना से वचन सिद्धि तक प्राप्त हो सकती है। हमारी जिंदगी माचिस की डिब्बी के समान है डिब्बी में से कब किसी समय किस तीली का नंबर आ जाए पता नहीं । अतीत में जिंदगी मौन से चलती थी अब लोन से चलती है। मनुष्य जीवन मिलना बहुत दुर्लभ है। बचपन खेल कूद में, जवानी में हम चौड़े बाजार सकड़ा, और बुढ़ापे में लाचारी बेबसी, तो धर्म कब ?
पूज्य महासतिया जी फरमाया की आज किसी युवा से कहो कि प्रवचन में आओ तो कहता है की अभी मेरी उम्र नही है प्रवचन सुनने की ऐसे लोगो के लिये कहा गया है की जब हम बूढ़े होंगे खटिया में पड़े होंगे तभी हम प्रभु को याद करेंगे प्रभु का नाम रटेंगे। क्या ये पक्का है की आपको बुढापा आएगा, दादा बैठे रह जाता है और पोता चला जाता है, माता पिता जीवित है और संतान चली जाती है । वृद्धावस्था में आँखों से दिखाई नही देगा, कानो से सुनाई नही देगा हाथों काम नहीं करेंगे, तो धर्म कैसे करोगे।
पूज्य महासतिया जी ने फरमाया की धन कमाने की उम्र अगर जवानी है तो धर्म कमाने की उम्र भी जवानी है ना अगली अच्छी है ना पिछली अच्छी है बीचली है वो ही सबसे अच्छी है । अतः जिनवाणी सुनने में प्रमाद मत करो । जिन वाणी को अहोभाव से सुनने से आयम्बिल का फल मिलता है।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी श्री कमलप्रज्ञा जी मसा ने मौन की महिमा बताते हुए कहा कि मौन सोना है, बोलना चाँदी है। व्यक्ति की अंत समय में बोली बन्द हो जाती है, क्योंकि जीवन भर जिस इन्द्रिय का अत्याधिक उपयोग किया वो इंद्री अंत समय में काम करना बंद कर देती है, उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है। मौन से कभी किसी का नुकसान नही होता है। लेकिन बोलने या गलत बोलने से घर, परिवार, समाज, नगर, प्रदेश, देश और दुनिया में युद्ध हो जाते है। चलने में जो मजा है वो रुकने में कँहा, काम करने में जो मजा है वो थकने में कँहा और मौन में जो मजा है वह बकने में कँहा। मौन की साधना से वचन सिद्धि तक प्राप्त हो सकती है। इंसान से बात करने के लिये फोन की जरूरत है और भगवान से बात करने के लिये मौन की जरूरत है। जो माया करता है वो बिखर जाता है और जो मौन करता है वो निखर जाता है। दिनभर में जाग्रत अवस्था में कम से कम एक घण्टे मौन रखना चाहिए।
मीडिया प्रभारी नीलेश बाफना ने बताया कि शनिवार को सुखी कौन विषय पर प्रवचन होंगे और धर्मसभा में जैन सोशल ग्रुप रतलाम के समस्त दंपत्ती सदस्य उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण करेंगे एवं दर्शन लाभ लेंगे ।