प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ ऐक्सीलेंस शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में ‘‘गुरू पूर्णिमा पर्व‘‘ मनाया गया

रतलाम 10 जुलाई 2025। उच्च शिक्षा विभाग म.प्र. शासन के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शास. कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम में भारतीय ज्ञान परम्परा के तहत दिनांक 10 जुलाई 2025 को गुरू पुर्णिमा उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष श्री विनोद करमचंदानी थे अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वाय. के. मिश्र द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथि श्री नन्दकिशोर पंवार, श्रीमति सोना शर्मा, सुश्री अनिता पाहुजा थे। कार्यक्रम के आमंत्रित अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. रतन चौहान एवं डॉ. मनोहर जैन थे। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलन किया गया। सरस्वती वंदना छात्रा दीक्षिता शर्मा ने गुरू वंदना प्रस्तुत की।
स्वागत भाषण एवं अतिथि परिचय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वाय. के. मिश्र द्वारा किया गया। प्राचार्य डॉ. वाय.के. मिश्र ने गुरू एवं गुरू पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को संयम, नियम, योग, ध्यान एवं जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए प्रेषित किया। अतिथियों का स्वागत पुष्पहार एवं श्रीफल भेंट कर किया गया। इस अवसर पर श्री विनोद करमचंदानी जी द्वारा गुरू पूर्णिमा का महत्व भारतीय परम्परा में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला और सभागार में सभी को भारत माता की जय के नारे से कार्यक्रम में चेतना का संचार किया। आपने अपने अध्ययनकाल के समय वाणिज्य महाविद्यालय में अध्ययनरत रहते समय के अनुभव साझा किया। तत्पश्चात श्री नन्दकिशोर जी मंडल अध्यक्ष ने गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू-शिष्य परम्परा पर अपने विचार व्यक्त किए और महत्व का बखान किया। श्रीमति सोना शर्मा पार्षद द्वारा गुरू पूर्णिमा पर गुरू का महत्व बताया साथ ही यह बताया कि आप स्वयं पार्षद बनने के पूर्व एक शिक्षिका के रूप में वर्ष 2020 तक कार्य किया और अब जनसेवा के कार्य कर रहीं हैं। सुश्री अनिता पाहुजा जी ने गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू-शिष्य परम्परा का भारतीय समाज में महत्व प्रतिपादित किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रतन चौहान सेवानिवृत्त प्राध्यापक द्वारा जो कि इसी महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्राध्यापक थे ने अपने ओजस्वी व्याख्यान से गुरू पूर्णिमा को आदिकाल से वर्तमान तक प्राचीन ग्रन्थों वेद पुराण उपनिषदों के माध्यम से सभागार में उपस्थित सुधिजनों को आशिर्वादित किया। गुरू-शिष्य परम्परा का आदिकाल और वर्तमान में क्या महत्व है यह बताया। अगले मुख्य वक्ता डॉ. मनोहर जैन जो कि सेवानिवृत्त अर्थशास्त्र विषय के प्राध्यापक थे आपने बताया प्रत्येक मनुष्य को ‘‘अच्छाई के लिए एकत्रित होना चाहिए।‘‘ आपने वर्तमान समय में गुरू-शिष्य परम्परा के महत्व को समझाया और सभी को इस परम्परा का निर्वाह कैसे करना यह बताया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र गोवर्धन कटारा बी.एस.सी. द्वितीय वर्ष द्वारा गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भाषण दिया। महाविद्यालय की छात्रा माहि जैन कक्षा बी.ए. प्रथम वर्ष एवं अपेक्षा कटारिया बी.ए. प्रथम वर्ष द्वारा गुरू पूर्णिमा पर केंद्रित कविता पाठ किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविकान्त मालवीय सहा. प्राध्यापक अंग्रेजी द्वारा किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक अधिकारी डॉ. भावना देशपांडे, डॉ. स्वाति पाठक, डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. सी.एल. शर्मा, डॉ. के. आर. पाटीदार, डॉ. अलका कुलश्रेष्ठ, डॉ. मायारानी देवड़ा, डॉ. मंगला चौरागड़े, डॉ.मिलिन्द डांगे, डॉ. कविता ठाकुर, डॉ. एम.एल. बड़गोत्या, डॉ. भारती लुणावत, डॉ. अनिस मोहम्मद, प्रो. मनोज दोहरे, डॉ. अमरीश हाण्डा, डॉ. अनिल गुप्ता, डॉ. रूपेन्द्र फरस्वाण, डॉ. हेमलता राठौर, डॉ. कृष्णा अग्रवाल, डॉ. रोहित पाटिल, डॉ. विजेन्द्र सौलंकी, डॉ. हितेश सांखला, डॉ. पूनम चौधरी, डॉ. गौपाल खराड़ी, डॉ. नीरज आर्य एवं महाविद्यालय के समस्त कर्मचारी तथा कलासंकाय एवं विज्ञान संकाय के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का आभार डॉ. आकाश ताहिर नोडल अधिकारी भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ द्वारा किया गया।