दुनिया को बहुत समझदार-गंभीर नेताओं की आवश्यकता है – प्रो. देवेन्द्र कुमार शर्मा

वर्तमान पूरी दुनिया बहुत तनाव में हैं। युद्ध चल रहे हैं और विश्व युद्ध का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। एटॉमिक युद्ध की बात ऐसे की जा रही है जैसे कोई खिलौना हो। सभी जानते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध एटॉमिक युद्ध होगा और यह पृथ्वी किसी के लिये भी रहने लायक नहीं बचेगी। एटॉमिक युद्ध के खतरे को सभी जानते हैं। पूरी पृथ्वी को बर्बाद करने के लिए कुछ ही परमाणु बम की आवश्यकता है। फिर भी रूस अमेरिका ने हजारों एटम बम बना रखे हैं और बनाते ही जा रहे हैं। पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया जैसे गैर जिम्मेदार देश के पास भी एटम बम हो गये हैं। वर्तमान में किसी एक देश के लिए यह सोचना मुर्खता है कि वह देश एटम बम मारेगा तो दूसरा छोड़ देगा। विनाश का बदला अधिक भयंकर विनाश से लिया जाएगा। आज की दुनिया को शांति की आवश्यकता है, युद्ध की नहीं। दुर्भाग्य से युद्ध के द्वारा शांति स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। यह एक मुर्खतापूर्ण विचार है युद्ध से प्राप्त शांति विनाश आधारित होती है। गंभीरता से विचार करें तो युद्ध के द्वारा प्राप्त की गई शांति शांति नहीं होती है। ऐसी शांति शमशान की राख जैसी होती है। युद्ध से बर्बादी करके यह सोचना कि शांति स्थापित कर ली है बहुत बड़ी मुर्खता है। विनाश से प्राप्त शांति लोगों के मन को शांति नहीं दे सकती। युद्ध से प्राप्त विनाश मय शांति को सचमुच की शांति में परिवर्तित करना बहुत कठिन काम है। इसमें बहुत समय, श्रम और धन लगता है। जब तक शांति स्थायी होने लगती है तब फिर कोई पागल दुनिया में आ जाता है और दुनिया को बर्बाद करने की कोशिश करता है। विकास बहुत धीमी गति से होता है और विनाश बहुत तेजी से।

आतंकवाद दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है। कई देशों नें इसे अपना व्यवसाय बना लिया है। यह धार्मिक कट्टरता पर आधारित है। बड़ी संख्या में बे कसूर मनुष्य मारे जा रहे हैं। युद्ध में असीमित नरसंहार होता है, लोग मरते हैं और मारने वाले खुश होते हैं। दुनिया के अधिकतर देश आतंकवाद से पीड़ित हैं फिर भी एक जुट होकर आतंकवाद के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं करते। पाकिस्तान जैसे देश ने आतंकवाद को राजधर्म बना रखा है। ईरान ने हमास और हुती जैसे बड़े आतंकी संगठन बना रखे हैं। अमेरिका और रूस में भी बड़े – बड़े आतंकी हमले हुए हैं। अफ्रीका के छोटे देशों में भी कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं। वास्तव में निर्दोष लोगों को मारना आतंकियों के लिए अच्छा व्यवसाय हो गया है। पूरी दुनिया आतंकवाद से त्रस्त है फिर भी आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। विभिन्न देशों के बीच आपसी द्वेष- ईर्ष्या इतनी अधिक है कि वे आतंकवाद के विरूद्ध एक नहीं होते। इसके लिए बहुत गंभीर –समझदार नेतृत्व की आवश्यकता होती है। अधिकतर बड़े देशों के नेता व्यक्तिगत अहम और आकांक्षाओं के चलते असंख्य लोगों को मरवा रहे हैं। क्रमवार चर्चा करें।

रूस-युक्रेन युद्ध चौथे वर्ष में चल रहा है। युद्ध का कारण रूस के राष्ट्रपति पुतिन की विस्तारवादी नीति है। सोवियत संघ के विघटन के परिणाम स्वरूप कई छोटे स्वतंत्र देश अस्तित्व में आ गये थे। युक्रेन भी उनमें से एक है। कुछ वर्ष पूर्व पूतिन के मन में विस्तारवादी इच्छा पैदा हो गई। उन्होंने रूस से अलग हुए देशों को सेना के बल पर जबरन रूस में वापस मिलाना प्रारंभ कर दिया। कुछ छोटे देशों पर तो पुतिन ने पुनः कब्जा कर लिया किन्तु युक्रेन अड़ गया। रूस से अलग होने के बाद युक्रेन एक स्वतंत्र विकसित देश बन चुका है। युक्रेन रूस की विस्तारवादी नीति से सहमत नहीं हुआ तो पुतिन ने युक्रेन पर आक्रमण कर दिया। 3 वर्ष हो गये, असीमित जनधन हानि हो रही है, किन्तु परिणाम नहीं निकला युरोपीय देश युक्रेन को मदद कर रहे हैं और युक्रेन-रूस युद्ध युरोप रूस युद्ध में परिवर्तित होता जा रहा है। इसीलिए गंभीर और समझदार नेता की आवश्यकता होती है। युक्रेन के नहीं रूस के भी बहुत सैनिक हताहत हुए हैं और रूस के पास सैनिकों की कमी पड़ने लग गई है। विस्तारवाद दुनिया के लिए हमेशा से अभिशाप रहा है। सिंकदर से लगाकर हिटलर तक सभी ने दुनिया बर्बाद की है, नतीजा क्या निकला। विस्तारवादीया आकांक्षा ने दुनिया को हमेशा बर्बाद किया है। युद्ध में बेकसुर लोग ही मारे जाते हैं। एक समझदार और गंभीर नेता युद्ध में नहीं उलझता बल्कि अपने देश का विकास कर लोगों का भला करता है। वर्तमान में ऐसे शासको की बहुत कमी है।

चीन का शी जिनपिंग अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार बहुत चालाकी से करता आ रहा है। चीन में नेता बदल भी जाता है फिर भी नीति नहीं बदलती। चीन अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार आर्थिक मदद देकर करता है। अफ्रीका के कई छोटे-छोटे देश चीन के कर्ज में दबे हुए हैं। श्रीलंका के कोलोम्बो बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है। पाकिस्तान भी चीन के भारी कर्ज के नीचे दबा हुआ है। इस तरह आर्थिक शक्ति के बल पर चीन अपने प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि करता जा रहा है। यह बहुत चालाकीपूर्ण साम्राज्यवादी तरीका है। चीन में नेता कोई भी हो तरीका नहीं बदलता पड़ौसियों को डराना, धमकाना और उनको सीमा विवाद में उलझाना चीन की पुरानी नीति है। भारत ने भी चीन की चालाकी को भुगता है।

वर्तमान में अमेरिका विश्व की नंबर 1 आर्थिक और सैनिक शक्ति है। दुसरा विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिका कई देशों में लंबे-लंबे युद्ध लड़ता रहा है। कोरिया, वियतनाम और अफगानिस्तान में लंबे युद्ध लड़े किन्तु निर्णायक जीत अमेरिका को किसी में भी नहीं मिली। दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की थी कि वे युक्रेन-रूस युद्ध रूकवा देंगे। किन्तु सफलता नहीं मिली। हुती से भी युद्ध में अमेरीका उलझता जा रहा है। केवल ट्रम्प के चाहने से शांति आने वाली नहीं है। पुतिन ने उनकी बात नहीं मानी, ट्रम्प का व्यवहार उनकी घोषणा के विपरित है। राष्ट्रपति चुने जाने पर उन्होंने घोषणा की थी कि दुनिया में युद्ध रुकवा देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वे आतंकी देश पाकिस्तान में व्यवसाय कर रहे हैं और भारत में व्यवसाय करने के लिए अमेरिका के उद्योगपतियों को मना कर रहे हैं। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि इजराइल को गच्चा देकर ट्रम्प हुती और हमास के गुप्त समझौता कर रहे हैं। पाकिस्तान जैसे आतंकी देश से उनका प्रेम बढ़ता जा रहा है और शांति प्रिय भारत के विरूद्ध व्यवहार कर रहे हैं।

ईरान ने हमास और हुती बड़े आतंकी संगठन खड़े कर रखे हैं। ईरान का सर्वेसर्वा धार्मिक कट्टरवादी आयतोल्लाह ख़ामेनेई धार्मिक आतंकवाद फैला रहा है। ईरान के लोग धार्मिक कट्टरवाद से आजादी चाहते हैं। खामेनेई एटमबम बनाकर इजराईल को समाप्त करना चाहता है। ईरान को भी एक गंभीर समझदार उदारवादी नेता की आवश्यकता है।

विश्व बहुत खतरे में हैं, विनाश के कगार पर है। ऐसे में दुनिया के देशों की निगाह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर लगी हुई है। मोदी कहते भी हैं कि यह समय युद्ध का नहीं, दुनिया में शांति होगी तभी विकास होगा। किन्तु विस्तरवादी और युद्ध पसंद देश शांति की भाषा नहीं समझते। प्रयास के बाद भी मोदी रूस-युक्रेन युद्ध नहीं रूकवा सके। विस्तारवाद और आतंकवाद बहुत बड़े खतरे हैं। पुरी दुनिया परेशान है भारत खुद भी बहुत परेशान है। एक तरफ विस्तारवादी चीन और दुसरी ओर आतंकी पाकिस्तान। जब तक ऐसे देशों में कोई समझदार शांति प्रिय नेता नहीं आते तब तक दुनिया में शांति स्थापित होना असंभव है। अकेले मोदी दुनिया में शांति स्थापित कर सकते। जब तक विश्व के प्रमुख देशों में समझदार और गंभीर नेता शासक नहीं बनते तब तक विश्व में शांति संभव नहीं वर्तमान बहुत डरावना है। आतंकवाद बहुत बड़ा खतरा विश्व के लिए होता जा रहा है। आतंकवाद का अंत बहुत कठिन दिखायी दे रहा है। शासकों की विस्तारवादी आकांक्षा विश्व को बर्बाद कर सकती है। दुनिया का बचना कठिन दिखाई दे रहा है। अतः विश्व को बचाने के लिए गंभीर और समझदार नेताओं की आवश्यकता है।