संविधान में देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने के लिए सभी सहमत थे – उर्मिलेश

भारत की डेमोक्रेसी को कागज से जमीन पर उतारने की जरूरत

संविधान में देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने के लिए सभी सहमत थे – उर्मिलेश

इंदौर । वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा है कि भारत की डेमोक्रेसी को कागज से जमीन पर उतारने की जरूरत है । हमारे संविधान में देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने के लिए सभी सहमत थे। अब संविधान की भावना के खिलाफ बातें कही जा रही है।
वह आज संविधान दिवस के अवसर पर अभ्यास मंडल और इंदौर प्रेस क्लब के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। इस व्याख्यान का विषय था – संविधान, डॉ अंबेडकर और आज की चुनौतियां । उन्होंने कहा कि आज एक मुश्किल दौर है । यदि हम किसी की बात से असहमत हो जाते हैं तो वह बुरा मान जाता है । भारत का संविधान एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है । हमारे देश का संविधान विश्व का सबसे बडा संविधान है । विश्व के कई देशों में बहुत छोटा संविधान है लेकिन वहां पर लोकतंत्र की जडे बहुत मजबूत है । देश की आजादी से पहले 1928 में बनी कमेटी ने संवैधानिक ढांचा बनाने की कोशिश की थी । इसके बाद 1931 में बनी कमेटी में सरदार पटेल भी शामिल थे ।
उन्होंने कहा कि देश की संविधान सभा में जब ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष किसे बनाया जाए । इस बारे में जब विचार चल रहा था तब महात्मा गांधी ने बाबा साहब अंबेडकर को यह दायित्व सौपने का सुझाव दिया था । यहां ये तथ्य इसलिए महत्वपूर्ण है कि वैचारिक रूप से महात्मा गांधी और डॉक्टर अंबेडकर के रिश्ते सही नहीं थे । हमारे देश के संविधान में आजादी की लड़ाई में शामिल नेताओं के विचार शामिल है । इस संविधान की उद्देशिका महानतम है । इसका प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था । इसमें लोकतंत्र शब्द अंबेडकर के सुझाव पर जोड़ा गया था । इस समय देश में जिस तरह से संविधान के नाम पर राजनीति की जा रही है वह कल्पना से परे है । आज हमारे देश में राजनीति और पूंजीवाद मिलकर काम कर रहे हैं । प्रेस की आजादी में विश्व के 180 देश में भारत का नंबर 159 नंबर पर है । ह्यूमन डेवलपमेंट के इंडेक्स में भी हम बहुत पीछे हैं । हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका, नेपाल अच्छी स्थिति में है ।


उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में सेकुलर शब्द कई बार आया है । इस प्रक्रिया के दौरान अंबेडकर से लेकर सरदार वल्लभभाई पटेल तक ने देश को सेकुलर बनाने का सुझाव दिया था । अंबेडकर के द्वारा जो संविधान का प्रारूप बनाया गया था उसमें भारत का नाम यूनाइटेड स्टेट ऑफ इंडिया रखा गया था ।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की देश को आजादी दिलाने में, संविधान को बनाने में कोई भूमिका नहीं रही वे आज संविधान की संरचना को चुनौती दे रहे हैं । आज बहुमत के साथ सत्ता में बैठे लोग संविधान की शपथ तो लेते हैं लेकिन संविधान की आत्मा को मारने वाली बात करते हैं । डॉ अंबेडकर ने कहा था कि हमारे देश से वर्ण व्यवस्था को समाप्त किया जाना चाहिए । ताकि देश का हर नागरिक हिंदुस्तानी बन सके । इस समय देश के संविधान को कागज से हकीकत में उतारने की जरूरत है ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय की प्रस्तावना देते हुए इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि भारतीय संविधान बनाने वाली संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे । संविधान का मुख्य प्रष्ट इंदौर के दीनानाथ जी ने बनाया था । बाबा साहब अंबेडकर का जन्म स्थल इंदौर के पास का ही है । इस संविधान को हमें किसी भी धर्म ग्रंथ से बढ़कर स्थान देना है । अब संविधान को लेकर जो राजनीति होने लगी है वह गंभीर है । अब तो संविधान चुनाव का मुद्दा भी बन गया है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रदीप जोशी और वैशाली खरे ने किया । कार्यक्रम का संचालन शफी शेख ने किया । अतिथि को स्मृति चिन्ह, मदन राणे ,प्रकाश हिंदुस्तानी ने भेंट किया । अंत में आभार प्रदर्शन अशोक कोठारी ने किया । इस अवसर पर साहित्यकार सुरेश उपाध्याय ने अपनी पुस्तक की प्रति भी उर्मिलेश जी को भेंट की।