रामराज्य का मतलब न तो कोई दीन, न कोई दरिद्र और न कोई दुखी – मानस मंदाकिनी देवी
गीता भवन में चल रही श्रीराम कथा में अयोध्या की मानस मंदाकिनी के प्रेरक आशीर्वचन
इंदौर,। राम राज्य का मतलब यह हुआ कि उस राज्य में न तो कोई दीन है, न दुखी है और न ही दरिद्र । भगवान राम का अवतरण प्राणी मात्र के दुख को मिटाने के उद्देश्य से ही हुआ है। रामचरित मानस के सप्त प्रश्न प्रसंग की व्याख्या करें तो लगता है कि संसार में जिसे हर तरह के सुख प्राप्त हैं, उसे भी कोई न कोई दुख जरूर होता है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जिसे कोई दुख नहीं होता। दुख और सुख जीवन के क्रम है। हर व्यक्ति तमाम दुखों के बावजूद सुख को पाने के प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ता और इन सबके बाद भी उसे दुखों से छुटकारा नहीं मिलता। दरिद्रता को सबसे बड़ा दुख कहा गया है, लेकिन यह दरिद्रता भौतिक नहीं है।
प्रख्यात मानस मर्मज्ञ श्रीराम किंकर की कृपापात्र शिष्य ‘ मंदाकिनी दीदी मां ने गुरूवार शाम गीता भवन सत्संग सभागृह में गीता भवन ट्रस्ट, एकल हरि सत्संग समिति एवं राधे सत्संग महिला मंडल सहित शहर के प्रमुख धार्मिक सामाजिक संगठनों के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दौरान ये दिव्य विचार व्यक्त किए प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, प्रेमचंद गोयल, हरीश माहेश्वरी, राधे सत्संग महिला मंडल की ओर से श्रीमती कांता अग्रवाल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। दीदी मां के प्रवचन 15 सितम्बर तक प्रतिदिन अपरान्ह साढ़े 4 से 7 बजे तक होंगे।
दीदी मां ने कहा कि भगवान राम की तरह रामचरित मानस का जन्म भी राम नवमी को ही हुआ है। भगवान राम आनंद सिंधु कहे गए हैं। उनके अवतरण का उद्देश्य संसार के जीव मात्र को बिना किसी भेदभाव के विश्राम पहुंचाना है। मानस में सात प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें संसार का सबसे बड़ा सुख क्या है, सबसे बड़ा दुख क्या है, संत और असंत में भेद किया है, प्रभु राम धराधाम पर क्यों आए – इस तरह के सप्त प्रश्नों का एक प्रसंग मानस में आता है। भगवान की कथा हम किसी भी युग में सुने शाश्वत और जीवंत होती है। कथा में किसी भी तरह का पक्षपात और भेदभाव नहीं होता। प्रत्येक जीव को प्रभु की सेवा और अनुराग के प्रति मोड़ देना ही कथा का उद्देश्य होता है। रामचरित मानस को युग तुलसी श्रीराम किंकर महाराज ने भी जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। अब उनका जन्म शताब्दी समारोह मनाया जाना है। अयोध्या में 29 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक जन्म जयंती महोत्सव का आयोजन हो रहा है, जिसमें पूरे देश के श्रद्धालु शामिल होंगे।