भारतीय माटी के गीत पूरे लोक में भारत के आलोक के प्रतीक – मालिनी अवस्थी

*पाश्चात्य दृष्टि ने भारतीय जीवन दर्शन का अहित किया*

*भारतीय माटी के गीत पूरे लोक में भारत के आलोक के प्रतीक – मालिनी अवस्थी*

इंदौर । पद्म भूषण मालिनी अवस्थी ने कहा है कि पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय जीवन दर्शन का सबसे ज्यादा अहित किया है। भारतीय माटी के गीत पूरे लोक यानी की पूरी दुनिया में भारत के आलोक के प्रतीक है । इन गीतों में हमारा गौरवशाली अतीत, ज्ञान परंपरा और सभी को सम्मान देने का भाव नजर आता है।
अभ्यास मंडल की 63 की वार्षिक व्याख्या माला की दूसरी संध्या को संबोधित कर रही थी। उनका विषय था लोक के आलोक में भारत ।  भारत के लोकगीत में हमारे जीवन मूल्य और संस्कृति के दर्शन को परोसा गया है। लोक का मतलब होता है कि जो नजर आ रहा है वही लोक है । हमारी संस्कृति का स्वरूप कितना विराट है इसका अंदाज तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवध क्षेत्र में आज भी जब भी कोई मंगल का कार्य होता है तो तालाब के पास की ताजी मिट्टी को लाकर उसका चूल्हा बनाकर उसे पर उड़द की दाल के बड़े बनाते हुए अपने पूर्वजों, भू देवी, ग्राम देवी को न्योता दिया जाता है। गांव की कुंवारी कन्याओं को न्यौता दिया जाता है। आज चारों तरफ बात की जाती है पॉजिटिव विचारधारा की । इस मौके पर गाए जाने वाले लोकगीत में आंधी, पानी, लड़ाई – झगड़ा जैसी तमाम नकारात्मकता को भी निमंत्रण दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत से पूरा विश्व यह सिखता रहा है की पूरी सृष्टि ही एक परिवार है । भारत ने समय-समय पर इस बात को साबित किया है । विश्व युद्ध का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पोलैंड के राजा जब जा रहे थे तो कोई भी देश उन्हें शरण नहीं दे रहा था। उस समय पर भारत के जामनगर में उन्हें शरण दी गई थी। उसी का परिणाम है कि पोलैंड में आज भी जामनगर के महाराजा की प्रतिमा लगी हुई है । हमारे देश में हर लोकगीत में एक कथा है । अवध में राम भगवान का महत्व धर्म से बढ़कर संस्कृति का है । हमारे लोकगीतों में यह कहा जाता है कि जब हम मंगल यानी कि अच्छे की कामना करते हैं तो उसमें सभी का आशीर्वाद शामिल होना चाहिए । यह शिक्षा नई पीढ़ी को देना जरूरी है । लोकगीतों में यह कहा गया है कि जाति, धर्म का कोई भेद नहीं है । जो गुण वाला है वही महान है । लोकाचार में पृथ्वी को सुबह उठकर प्रणाम करने का दस्तूर है । यही कारण है कि आज भी जब वाहन चालक गाड़ी पर बैठता है तो वह गाड़ी की स्टेयरिंग को प्रणाम करता है ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सभी नदियों को मां का दर्जा दिया गया है । यह नदी केवल जल नहीं है बल्कि धन-धान्य और पर्यावरण को देने वाली है । भारत का मूल्य लोक कल्याण का रहा है । इतिहास इस बात का साक्षी है कि दूसरों के लिए जीवन जीने वाले को हमेशा याद किया गया । हमारे लोकगीतों में भी लोक कल्याण के संदेश को प्रमुखता के साथ दिया गया है । इन लोकगीतों में यह साफ बताया गया है कि दुख सहना बुरा नहीं होता है लेकिन जब हमने दुख को सहना छोड़ दिया तो परिवार का टूटना शुरू हो गया । यह सहना एक शक्ति है कमजोरी नहीं । हम भारत के लोग एक ताने-बाने में बंध कर रहना जानते हैं, यही हमारी ताकत है ।
प्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का भाव हमारे लोकगीतों में न जाने कितनी सदी से मौजूद है । जाति – उपजाति में आज समाज को बांटने का प्रयास किया जा रहा है । हमारे लोकगीत तो यह शिक्षा देते रहे हैं कि अपने जीवन के कर्म को गीत गाते हुए करो ताकि कभी थकान नहीं होगी । परिश्रम को आनंद और कर्तव्य को काम मानो ।
पाश्चात्य दृष्टि ने भारत के जीवन दर्शन का सबसे ज्यादा अहित किया है । हमने अपने सोच विचार की आहुति दी है । एटीकेटी सीखने के चक्कर में हमने आत्मीयता को तलांजलि दे दी है । हमारे संस्कारों में तो महिला और पुरुष को समानता दी हुई थी । हमने पश्चिम के कारण अलग सोच को अपनाया जिससे भारतीय परिवार टूटने लगे । भारत में चाहे कितना भी संकट आ जाए लेकिन यहां की ज्ञान परंपरा, लोकगीत और लोक कहानी सदा बने रहेंगे । आने वाला समय भारत का है । हम पूरे विश्व को सिखाएंगे । इसके लिए हमें सबसे पहले अपनी आने वाली पीढ़ी को सिखाना होगा।


इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद एवं लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता शोभा ओझा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मालवा प्रान्त के प्रमुख रहे कृष्ण कुमार अस्थाना, इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष पंडित कृपा शंकर शुक्ला विशेष तौर पर मौजूद थे । कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत वैशाली खरे, नेताजी मोहिते, फादर पायस लकरा ने किया । कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने किया । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार हरे राम बाजपेई ने किया ।