भोपाल। भाजपा कार्यकर्ताओं को मध्य प्रदेश सरकार ने सहकारी संस्थाओं में जिम्मेदारी देने की तैयारी कर ली है। सहकारी समितियों से जुड़े लगभग 20 हजार कार्यकर्ताओं को विभिन्न स्तरों पर समायोजित किया जाएगा। 4,523 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति में प्रशासक और सदस्यों के रूप में उनको मौका दिया जाएगा। इसी तरह 28 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, अपेक्स बैंक, विपणन समितियां, राज्य सहकारी विपणन संघ और महासंघ में भी मौका मिलेगा। इसके लिए पार्टी ने जिलों के सहकारिता से जुड़े नेताओं से नाम मांगे हैं।
*चुनाव नहीं होने से अधिकारी प्रशासक बने हुए हैं*
प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के चुनाव वर्ष 2013 के बाद से नहीं हुए हैं। 2018 के बाद प्राथमिक से लेकर शीर्ष सहकारी संस्थाओं में सहकारिता विभाग के अधिकारी प्रशासक हैं। सहकारी अधिनियम में छह माह और विशेष परिस्थिति में इस अवधि को एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है पर चुनाव नहीं होने के कारण अधिकारी प्रशासक बने हुए हैं।
*सहकारिता के साथ जुड़े लोगों को किया जाएगा शामिल*
अब सरकार ने तय किया है कि अशासकीय व्यक्तियों को प्रशासक और सदस्य बनाया जाएगा। इसके लिए पार्टी से प्रत्येक संस्था के लिए तीन-तीन नाम मांगे गए हैं। इसमें उन लोगों को शामिल किया गया है जो सहकारिता से जुड़े हुए हैं और उन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव रहा है। इन्हीं के नेतृत्व में आगामी चुनाव कराया जाएगा।
*एक प्रशासक और सहायता के लिए तीन सदस्य बनाएंगे*
ये ही सदस्यता सूची तैयार कराएंगे और स्थानीय समीकरणों को देखते हुए उन कार्यकर्ताओं को तैयार करेंगे, जिन्हें चुनाव लड़ाया जाना है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति में एक प्रशासक और उसकी सहायता के दो या तीन सदस्य बनाया जाएंगे।
इसी तरह जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और अपेक्स बैंक में भी प्रशासक के साथ पांच या छह सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। सही व्यवस्था 450 विपणन समितियों और राज्य सहकारी विपणन संघ के लिए रहेगी।
*पात्रता की जांच करेंगे सहकारिता विभाग के अधिकारी*
प्रशासक और सदस्य नियुक्त करने से पहले सबकी पात्रता की जांच सहकारिता विभाग से कराई जाएगी। इसमें यह देखा जाएगा कि कोई ऐसा तो नहीं है, जिसने ऋण न चुकाया हो और वो अपात्र हो गया हो। वह जिस समिति का सदस्य है, वह अपात्र तो घोषित नहीं की गई है। पूर्व में किसी कारण से चुनाव लड़ने से अयोग्य तो घोषित नहीं किया है।
*कार्यकर्ताओं में नाराजगी न पनपे इसलिए होगा समायोजन*
उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं में नाराजगी के कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिस तरह से नुकसान हुआ, पार्टी उससे सब लेकर मध्य प्रदेश में कार्यकर्ताओं को भी सत्ता में भागीदार बनाना चाहती है। इसी उद्देश्य से सहकारी संस्थाओं में सबसे पहले कार्यकर्ताओं को नियुक्ति दी जा रही है। इन संस्थाओं के चुनाव 2013 के बाद से नहीं हुए हैं।