नीट पेपर लीक – सरकार सच्चाई स्वीकार करे -प्रो.डि.के शर्मा

नीट पेपर लीक प्रकरण मामले में सरकार सच्चाई स्वीकार करने को तैयार नहीं है। बिहार से गुजरात तक हाहाकार मचा हुआ है। कुछ बच्चों ने आत्महत्या भी कर ली है। परन्तु सरकार सच्चाई मानना ही नहीं चाहती। कई टीवी चैनल प्रमाण सहित दिखा रहे हैं कि पेपर लीक हुआ है। न केवल पेपर लीक हुआ है बल्कि परीक्षा केन्द्रों पर जबर्दस्त धांधली हुई है। सरकार समर्थक एक टीवी चैनल के गुजरात के प्रसिद्ध संवाददाता ने गोधरा केन्द्र पर हुई धांधली को पूरी तरह उजागर किया है। वहां 10 लाख रूपए लेकर हुई गड़बड़ी को उन्होंने दिखाया है। दूर-दूर के विद्यार्थियों ने गोधरा सेंटर लिया। एन.टी.ए. ने यह नहीं देखा कि इतनी दूर-दूर के विद्यार्थी गोधरा क्यों आ रहे हैं। पेपर के दिन ही बिहार में पेपर आउट होने की खबर समाचार पत्रों में आ गई थी किन्तु सरकार और एन.टी.ए. दोनों मानने को तैयार नहीं है कि गड़बड़ी हुई। सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। टीवी पर दिनभर खबर चल रही है किन्तु सरकार के शिक्षामंत्री यह मानने को तैयार नहीं। जिन विद्यार्थियों ने आत्महत्या कर ली इनका क्या होगा? उनके परिवार पर हुए वज्राघात से सरकार को कुछ लेना-देना नहीं। सच में बहुत अमानवीय और निर्दयी व्यवहार है।
उचित तो यह होता कि सरकार सख्त कदम उठाती। एन.टी.ए. अध्यक्ष को निलंबित करती। प्रकरण की गहराई में जाती और जो लोग भी जवाबदार है उन सब के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार करती। सच्चाई स्वीकार करने से सरकार की प्रतिष्ठा कम नहीं होती वरन् बढ़ती ही। हमने देखा है कि भ्रष्टाचार के मामले में जवाबदार लोग साफ बच निकलते हैं। वैसे आंकलन किया जाए तो लगता है कि मोदी सरकार युवा विरोधी है। यह सरकार भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में पूरी तरह से विफल हुई है। यूपी में पुलिस भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ तो योगी ने तुरंत परीक्षा निरस्त कर दी। किन्तु मोदी सरकार है कि उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगी; उल्टे शिक्षामंत्री अड़े हुए है कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ। गोधरा सेंटर पर हुए गोलमाल को सरकार समर्थक चैनल ने ही उजागर किया। परन्तु सरकार कहती है कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ। प्रधानमंत्री को स्वयं हस्तक्षेप करके एन.टी.ए. के अध्यक्ष को निलंबित करके उनके खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए थी। मोदी अक्सर कहते है कि भारत एक युवा देश है किन्तु युवाओं की दुर्गति और कठिनाईयों से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। पी.एम.ओ. की ओर से एक बयान तक नहीं आया।
इस तरह के घोटाले न जाने कब से चल रहे हैं। व्यापमं घोटाला उजागर होने से पहली बार पता चला कि बहुत व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार चल रहा है। भ्रष्टाचार को दबाने के लिए कई बच्चे मारे गए थे। बीस साल के पत्रकारिता अनुभव में देखा है कि सरकार और प्रशासन बहुत निर्दयी और असंवेदनशील होते हैं। प्रमाण हो तो भी वे अपनी बात पर अड़े रहते हैं। वर्तमान सरकार भी यही कर रही है। सच्चाई स्वीकार कर जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध कार्यवाही करने से सरकार की प्रतिष्ठा खराब नहीं होगी वरन बढ़ेगी ही। बाते बड़ी-बड़ी होती है लेकिन सब जानते हैं कि हमारे देश में न्याय मिलना बहुत कठिन होता है।