इंदौर । संवत्सरी महापर्व हमें संदेश देता है कि इंसान से गलती होना स्वभाविक है जीवन में गलतियां कई तरह से हो जाती है, जैन धर्म में ही क्षमा पर्व पर क्षमा याचना का विधान है, व्यवस्था है, हम इस अवसर को न जाने से क्षमा को अपनाएं, परमात्मा कहते हैं हमारी दृष्टि गुणों पर रखें रखो, और हम हमारी आत्मा में रमण करें, हमें कोई दुखी नहीं करता, हम अपने अंदर के स्वभाव से दुखी हैं, किसी का भी सामान्य शब्द भी चोट कर देता है, हम विचलित और दुखी हो जाते हैं हम अहंकार से भर भर जाते हैं, परंतु परमात्मा की वाणी दिल पर चोट करें तो वैराग्य के भाव आ जाते हैं, समता और वात्सल्य के साथ करुणा के भाव आ जाते हैं हम परमात्मा की वाणी को जीवन में आत्मसात करें।
यह प्रेरक प्रवचन प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी महाराज ने महावीर भवन में व्यक्त किये श्वेतांबर जैन समाज महापर्व पर्युषण की समाप्ति पर 31 अगस्त को संवत्सरी महापर्व मनाएगा। प्रतिवर्ष की भांति आत्म जागरण का महापर्व पर्युषण समाप्त हो रहे हैं। यह पर्व क्षमा और मैत्री का संदेश लेकर आ रहा है।
संवत्सरी के पूर्व और उस दिन होने वाले सारे तप और जप की अंतिम निष्पत्ति क्षमा को पाना ही है। क्षमापना के अभाव में तब तक का सारा किया कराया निरर्थक है। धर्म साधना की प्रक्रिया में क्षमा का महत्व स्थापन भगवान महावीर की एक महान देन है।
उन्होंने सूत्र दिया, सब जीव मुझे क्षमा करें। मैं, सबको क्षमा करता हूं। मेरी सर्व जीवों से मैत्री है। किसी से बैर नहीं।
महावीर भवन इमली बाजार में पूज्य प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी महाराज की निश्रा में प्रातः अन्तगड़सूत्र का वाचन होगा। क्षमा पर विशेष उद्बोधन के साथ 18 पापो की आलोचना होगी।
इस अवसर पर तपस्वियों का सम्मान होगा।
शाम को 6.30 बजे प्रतिक्रमण होगा जिससे 84 लाख जीवयोनी से क्षमापना करेंगे।
यह जानकारी संघ के महामंत्री श्री रमेश भंडारी ने दी।
धर्मसभा का संचालन प्रकाश भटेवरा ने किया। आभार जिनेश्वर जैन ने व्यक्त किया।